Sunday, April 8, 2007

पद्म उत्तराखंडियों का सम्मान





[चित्रों में बायें से श्री के. एस. वाल्दिया , डा. ललित पाण्डे और

श्री शेखर पाठक]

डांगी जी ने जब फोन किया था कि वो पद्म उत्तराखंडियों के सम्मान में “गुड फ्राइडे” के दिन कुछ आयोजन करना चाह रहे हैं और मेरी उपलब्धता के बारे में पूछ रहे हैं तो मैने तुरंत हामी भर दी. मैं ऎसा अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहता था जहाँ मुझे उत्तराखंड की विभूतियों से मिलने का सौभाग्य मिलता. बाद में मुझे पता चला कि हमारे संस्थान में 'गुड फ्राइडे' का अवकाश नहीं है फिर भी ये निश्च्य किया कि येन केन प्रकारेण पहुंच ही जाएंगे ...और 6 अप्रेल 2007 को गुड फ्राइडे के दिन पहुंच ही गये IIC . वहां डांगी जी और उनकी प्यारी सी बेटी प्रेरणा से मुलाकात हुई . प्रेरणा ने ही कार्यक्रम के पहले भाग का बहुत ही खूबसूरती से संचालन किया .हांलाकि पूरे कार्यक्रम में केवल उदघोषणा ही अंग्रेजी भाषा में थी बांकी सारा कार्यक्रम हिन्दी ,कुमाउंनी और गढ़वाली में था.

इस बार के पद्म श्री पुरुस्कार से सम्मानित 5 पद्म उत्तराखंडियों में से तीन उस कार्यक्रम में उपस्थित थे .वे थे श्री के.एस.बल्दिया , डा. ललित पाण्डे और श्री शेखर पाठक. वैसे आपको ज्ञात ही होगा कि इस वर्ष पद्मश्री पुरुस्कार प्राप्त लोगों में दो और उत्तराखंडी नाम स्व.श्री देवेन्द्र राहिनवाल और श्री खालिद जहीर के हैं.

कार्यक्रम के प्रारम्भ में श्री पुष्पेश पंत ने मंच पर आसीन तीनों महानुभावों का परिचय करवाया . ये जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि तीनों महानुभावों से श्री पुष्पेश जी का निकट का संबंध रहा है .बोलने की शैली तो पुष्पेश जी की है ही जानदार ( आपने उनको बहुत सारे न्यूज चैनलों में देखा होगा ). वे बोलते है तो एक समां सा बंध जाता है. बिना किसी लाग लपेट के खरा-खरा बोलने वाला यह इंसान कितना ज्ञानी है इस बात का पता आपको तभी ही चलता है जब आप उनके लिखे किसी लेख को पढ़ो. मैने बचपन से उनके “अमर उजाला” के संपादकीय पृष्ठ में छ्पे ना जाने कितने लेख पढ़े हैं .ऎसे व्यक्ति की वाणी में तीनों महानुभावों का परिचय सुनना अपने आप में एक अलग अनुभव था.

इसके पश्चात तीनों महानुभावों ने अपने अपने अनुभव बांटे .ऎसे प्रेरणास्पद अनुभव जिन्होने कम से कम मेरे को तो अभिभूत कर ही दिया और कई नई चीजें सीखने को मिली.मंच पर श्री टॉम ऑल्टर भी आये और उन्होंने भी अपने उदगार व्यक्त किये. इसके पश्चात उत्तराखंड की तीन सांस्कृतिक विभूतियों को सुनने का अवसर मिला .य़े तीन विभूतियां थी जाने माने गीतकार ,कवि श्री गिरीश तिवारी (गिरदा) , गढ़वाली संगीत के स्तंभ श्री नरेन्द्र सिंह नेगी और कुमाउंनी संगीत के जाने माने गायक श्री हीरा सिंह राणा . तीनों ने अपनी अपनी रचनाओं से लोगों का दिल जीत लिया . आप उनके वीडियो यहां देख सकते हैं..

आई.आई.सी. के उस हॉल में कई सारी विभूतियां थी. मैं उन लोगों से मिला तो नही पर लोगों के भाषणों से ज्ञात हुआ कि वहां ऊपर चर्चित व्यक्तियों की अतिरिक्त श्री राम गुहा ,श्री राजेन्द्र धस्माना, प्रतिभा नैथाणी,श्री के.एन.भट्ट ,परिमार्जन नेगी (शतरंज चैम्पियन), पारुल गोस्वामी (लॉन टेनिस स्टार) आदि थे.

वहां कुमाउनी-गढ़वाली ग्रुप से श्री अमित तिवारी थे और अपने कैमरे के साथ मौजूद थे श्री भूपेन कुंवर. ऊपर दी गयी फोटो उन्ही के सौजन्य से है. आप कुछ और फोटो यहां देख सकते हैं.

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