उमेश डोभाल की कुछ कविताऎं
उमेश डोभाल की कुछ कविताऎं जो नैनीताल समाचार के अंक से साभार ली गयी हैं
“अब मैं मार दिया जाऊंगा उन्ही के नाम पर जिनके लिये संसार देखा है मैने”
“ वह हवा जो हिमालय से आती है
भली लगती है
मुझे अब भी खींचते हैं
घिंघोंरू का डंडा और गुल्ली
हल बैल बन जाने का खेल
मैं उनका हिस्सा बनना चाहता हूं
इसलिये युद्ध में हूं “
“असमय बूढ़ी हो गयी है माँ
बाँज की शाखाओं से खुरदुरे हाथ
कितने स्नेहिल
बेटी बेटों और नाती नातिनों के लिये
उनके लिये
कितना जवान है
माँ का मन
खिले बुराँस की तरह झरते पराग की तरह
आकाश सी तनी
और दूब सी फैली
हर जगह उपस्थिति माँ की
अपनों पर किसी खतरे की आशंका से
कुल्हाड़ी की चोट खा रहे पेड़ सी
परिवार के कीली पर
पृथ्वी सी घूमती माँ ”
शेष कविताऎं कल......
2 comments:
Nice! Wonderful! keep it up. thanks for poting...
Chandra Mohan Baloni
Dubai
हिन्दी में ही क्यों नहीं लिखते।
Post a Comment